भारतीय गणराज्य के पूर्वोत्तर मैं स्थित बिहार राज्य का राजनीतिक माहौल दिलचस्प मोड़ पर है और इस गरम माहौल मैं आइये समझते है बिहार के राजनीतिक समीकरण लेकिन एक अलग अंदाज मैं। इस लेख मैं उल्लेख मिलेगा बिहार के कई ऐसे आकड़ो के बारे मैं जो की एक जागरूक नागरिक को समझने की ज़रूरत है, इससे पहले की वह अपने मूल्यवान मत का प्रयोग करे और आगामी नेता का चुनाव करे।
इस राज्य के वर्तमान भौगोलिक स्थिति को निम्न भारत गणराज्य के मानचित्र पर दर्शाया गया है।

आइये पहल करते है इसके इतिहास से।
6 वीं शताब्दी ई.पू के काल मैं मगध साम्राज्य के परिपालन मैं बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार हुआ। बौद्ध धर्म के वृद्धि एवं उसके प्रचलन के साथ कई बौद्ध विहारों की भी स्थापना कि गयी।
ऐसा माना जाता है कि इन बौद्ध विहारों के बहुतायत के वजह से मगध साम्राज्य के इस हिस्से का नाम बिहार पड़ गया, मगध के शासन काल मैं पाटलीपुत्र उनकी राजधानी थी जो की वर्तमान कल मैं बिहार की राजधानी पटना कहलाती है।

मगध शासन काल के बाद कई राजाओं और बहार से आये आक्रमणकारियों जैसे कि मुग़लों ने बिहार पर अपना हक़ स्थापित किया। बाद के कई वर्षों तक बिहार किसी न किसी साम्राज्य का हिस्सा रही और उसका कोई अलग से इतिहास मैं उल्लेख नहीं मिलता है। 1765 ई. मैं बिहार का विलय बंगाल राज्य मैं हो गया।
22 मार्च 1912 ई. को बिहार बंगाल से अलग हो गया और उसे एक अलग राज्य का दर्जा मिला।

15 नवंबर 2000 को, दक्षिणी बिहार को झारखंड नाम के अलग राज्य मैं तबदील कर दिया गया और इस प्रक्रिया द्वारा वर्तमान बिहार राज्य की परिभाषा तय हुई।

यह था आज के बिहार का भौगोलिक रूपरेखा तक आने का सफर। आइये अब जानते है वर्तमान की बातें।
लगभग 94163 किमी2 क्षेत्रफल के साथ बिहार भारत का बारहवां सबसे बड़ा राज्य है और 9.9 करोड़ आबादी के साथ यह भारत का तीसरा सबसे सघन आबादी वाला राज्य है।
बिहार के कुल जनसंख्या मैं 82.69% हिन्दू एवं 16.87% मुस्लिम आबादी है। अन्य धर्म के लोग जैसे कि ईसाई, सिख इत्यादि अल्पसंख्यक है।
राज्य को प्रशासनिक रूप से 9 प्रभागों और 38 जिलों में विभाजित किया गया है। शहरी क्षेत्रों के प्रशासन के लिए, बिहार में 12 नगर निगम, 49 नगर परिषद (नगर परिषद) और 80 नगर पंचायतें हैं।
बिहार विधानसभा में वर्तमान में 243 सदस्य हैं, निम्न नक़्शे पर बिहार के विधानसभा क्षेत्रों का बटवारा देखा जा सकता है।

243 सदस्यों मैं 39 क्षेत्र अनुसूचित जाती एवं दो क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के लिए आवंटित है।
बहुतायत हिन्दू समाज मैं जाती के आधार पर अगर जनसंख्या को बाँटा जाये तो, 52% पिछड़े जाती के लोग, 15% अनुसूचित जाती के लोग अथवा 15% अगड़ी जाति के लोग है। इनके अलावा कुछ अल्पसंख्यक जाती के लोग जैसे कि आदिवासी भी इसमें सम्मिलित है।
इस लेख मैं एक निष्पक्ष वाद विवाद हेतु अधिकतर स्थानों पर केवल साल 2000 के बाद के बिहार राज्य के आंकड़ों का मूल्यांकन किया जायेगा।
मुख्यमंत्री | कार्यकाल शुरू | कार्यकाल समाप्त | दल का नाम | |
नीतीश कुमार | 22/2/2015 | सत्तारूढ़ | जद (यू) | |
जीतन राम मांझी | 20/5/2014 | 22/2/2015 | जद (यू) | |
नीतीश कुमार | 24/11/2005 | 19/5/2014 | जद (यू) | |
राबड़ी देवी | 11/3/2000 | 6/3/2005 | राजद |
वर्तमान बिहार राज्य मैं साल 2000 के बाद जद (यू) 15 साल सत्ता मैं रही जबकि मुख्य विपक्ष दल राजद पांच वर्षों तक सत्ता मैं रही।
आइये एक नज़र देखते है बिहार के आर्थिक आंकड़ों को।
सकल राज्य घरेलू उत्पाद

साल 2000 से बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद बढ़ोतरी के राह पर है और साल 2000 से 2020 तक घरेलू उत्पाद लगभग दस गुना बढ़ा है। इन बीस सालो का उत्पाद दर्शाता है कि बिहार मैं कारोबार का ढांचा वृद्धि पर है और राज्य मैं आर्थिक कामकाज सुचारु रूप से चल रहे है।
सकल राज्य घरेलू उत्पाद वृद्धि दर

बिहार के बहुत अच्छे आर्थिक विकास दर के बावजूद, लगभग 40% लोग न्यूनतम गरीबी रेखा के नीचे अपना जीवन व्यतीत करते है जो कि राष्ट्रीय औसत दर के 8.5 % से कई गुना अधिक है । बिहार मैं प्रति व्यक्ति आय ₹ 43822 है जो की राष्ट्रीय औसत ₹135048 की तुलना मैं लगभग एक तिहाई है। यह आकड़े बताते है कि बिहार मैं आय का वितरण असमान है और गरीबी उन्मूलन कार्य प्रभावशाली नहीं है। बिहार की अशिक्षा औसत लगभग 50 % है जो कि उसके गरीबी के कई कारणों मैं एक मूल कारण है।
वर्ष 2017-2018 के राज्य सकल मूल्य वर्धित (जीअसवीए) में कृषि, विनिर्माण और सेवाओं के क्षेत्रों ने 23%, 15% और 62% का योगदान दिया।
राज्य की लगभग 80% आबादी कृषि में कार्यरत है फिर भी जीएसवीपी में कृषि का योगदान सिर्फ 23% है जो यह दर्शाता है कि कृषि में लगी आबादी को उनकी उपज का अच्छा मूल्य नहीं मिलता है या कृषि से जुडी हुई आबादी भूमि हार और छोटे किसान है और इसलिए यहाँ उच्च गरीबी दर है। राज्य की बेरोजगारी का औसत लगभग 10% है जो राष्ट्रीय औसत से बहुत अधिक है। यदि हम इन संख्याओं का मूल्यांकन करते हैं, तो यह स्पष्ट है कि बिहार में आर्थिक संकट उत्पन्न हो रहा है। इस असमान आर्थिक वितरण के परिणामस्वरूप बिहार देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है पलायन के विषय मैं।
विदेशी निवेश के शीर्ष 10 प्राप्त कर्ताओं में से भारत ने 2019 में $ 49 बिलियन का एफडीआई आकर्षित किया। जबकि एफडीआई निवेश का 1% भी बिहार को नहीं मिल पा रहा है। बिहार को एफडीआई को आकर्षित करने के लिए अपनी छवि में सुधार करने और अपने लोगों की सामाजिक स्थिति में कुछ मूलभूत बदलाव करने की आवश्यकता है ताकि इसे निवेश के अनुकूल बनाया जा सके।
देश में परिचालन में कुल औद्योगिक इकाइयों की संख्या में, बिहार का हिस्सा वर्ष 2015-2016 में केवल 1.5% था।
आइये मुख्यमंत्री के दावेदारों का मूल्यांकन करने है ।
नितीश कुमार

श्री नितीश कुमार 6 बार बिहार के मुख्यमंत्री बने और लगभग 15 सालों तक वे मुख्यमंत्री पद पर विराजमान रहे। साल 1977 से श्री नितीश कुमार राजनीति से जुड़े हुए है और वे कई राज्य एवं केंद्र विभागों मैं मंत्री रहे है। केंद्र स्तर वे कृषि, सड़क परिवहन और रेलवे जैसे मुख्य विभागों मैं कैबिनेट मंत्री रह चुके है। श्री नितीश कुमार को गहरा प्रशासनिक अनुभव प्राप्त है और उनकी छवि एक साफ़ सुथरी राजनीतिज्ञ की है। उन्होंने बिहार कालेज ऑफ़ इंजीनियरिंग से इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की है।
तेजस्वी यादव

श्री तेजस्वी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्रियों श्री लालू प्रसाद यादव और श्रीमती राबड़ी देवी के बेटे हैं। उन्होंने नौवीं कक्षा तक पढ़ाई की और फिर अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी किए बिना स्कूल से बाहर निकल गए, ताकि क्रिकेट में उनके पेशे को आगे बढ़ा सके।
वह 2015 में राष्ट्रीय जनता दल के सदस्य के रूप में राघोपुर निर्वाचन क्षेत्र से बिहार विधानसभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने नवंबर 2015 और जुलाई 2017 के बीच बिहार राज्य के लिए उप मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। श्री तेजस्वी को प्रशासनिक अनुभव बहुत कम है। इनके ऊपर कई क़ानूनी मुक़दमे अदालत मैं चल रहे है।
मुख्य चुनावी मुद्दे
2020 के बिहर चुनावों के दौरान मतदाताओं को अपने मतदान अधिकारों का उपयोग करने से पहले निम्न बिंदुओं पर विचार करना चाहिए:
1. कौन-सी सरकार अधिकतम रोजगार उपलब्ध कराएगी या प्रदान करेगी?
2. कौन-सी सरकार राज्य को निवेश आकर्षित करने पर काम करेगी?
3. विदेशी निवेश कैसे आकर्षित किया जाएगा?
4. प्रति व्यक्ति आय कम से कम राष्ट्रीय औसत तक कैसे बड़ाई जाएगी।
5. COVID-19 के कारण वापस आने वाले सभी प्रवासी कामगारों को आय नहीं होगी, सभी घर वापसी करने वाले अप्रवासियों को खाद्य सुरक्षा और बुनियादी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की क्या योजना है?
6. बिहार एक आर्थिक संकट से गुजर रहा है और जीवन की गुणवत्ता के अधिकांश सूचकांक जैसे कि प्राथमिक स्वास्थ्य की कमी, मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर, गरीबी दर, अपराध दर आदि सभी राष्ट्रीय औसत से काफ़ी अधिक हैं।
बिहार के मतदाताओं को धर्म और लालच से ऊपर उठकर बिहार के सही नेता को चुनना होगा। आज के राजनीतिक विकल्पों में लोगों के पास सीमित मार्ग हैं। जनमत सर्वेक्षणों से यह स्पष्ट है कि या तो नीतीश कुमार भाजपा के समर्थन से या तेजस्वी यादव कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री होंगे। एक तरफ़ तेजस्वी के पास गवर्नेंस का अनुभव नहीं है और अगर वह मुख्यमंत्री बन जाते हैं तो केंद्र सरकार का साथ कम से कम होगा। दूसरी ओर यदि नीतीश मुख्यमंत्री बने, तो पिछले 15 वर्षों का उनका ट्रैक रिकार्ड इतना प्रभावशाली नहीं है, जबकि उनके पास बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कई वर्षों से केंद्रीय शासन का समर्थन था।
इन परिस्थितियों में भाजपा और उसके सहयोगियों के रूप में एक तीसरा विकल्प भी सरकार बनाने के लिए, मौजूद है। अगर बीजेपी और एलजेपी 122+ सीटें जीतती हैं तो वे सरकार बना सकते हैं। लेकिन इस संयोजन के लिए कई चीजों को काम करना होगा जैसे बीजेपी + जेडीयू <122, आरजेडी + कांग्रेस <122 और एलजेपी 40 सीटें।
जो कुछ भी विकल्प हो, बिहार के गरीबों को निष्पक्ष मतदान करना चाहिए और ऐसे नेता को चुनना चाहिए जिसके पास बिहार को गरीबी से निजात दिलाने का संकल्प हो और उस सपने को पूरा करने का मनोबल और इच्छा शक्ति हो। कोई भी ग़लत पसंद इस राज्य को और भी अथक अंधकारों मैं धकेल देगा।
बिहर को कई मोर्चों से निपटने की ज़रूरत है। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) , चुनाव से सम्बंधित मौद्रिक संकलन जैसी चीजें पर्याप्त नहीं हैं बिहार के उत्थान हेतु । इसे भू-माफियाओं से निज़ाद दिलाने की आवश्यकता है, भूमि को किसान को आवंटित कर , भूमि माफियाओं को समाप्त करने की भी ज़रूरत है। भारी औद्योगिक निवेश के बिना बिहार का जीवन नहीं सुधरेगा, आज की तारीख मैं बिहार एक राज्य के रूप मैं निवेश के लिए बिलकुल भी अनुकूल नहीं है। बिहार को अपनी छवि सुधरने की आवश्यकता है।
बिहार की जीएसडीपी केवल बुनियादी ज़रूरतों के देखभाल करने के लिए पर्याप्त है और राज्य के कोष के भीतर गरीबी उन्मूलन के लिए काम करना संभव नहीं होगा। इस कारण से या तो बिहार को एक विफल राज्य बना दिया जाना चाहिए और 20 साल की अवधि के लिए राष्ट्रपति या केंद्र सरकार के सीधे शासन के तहत लाया जाना चाहिए। यदि इस घनी आबादी वाले राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर लाना है तो बिहार को एक व्यापक पुनर्गठन की आवश्यकता है। बिहार के उत्थान के बिना भारत अपने समग्र लक्ष्यों को पूरा करने में सक्षम नहीं होगा।
अब चलेगा तीर या जलेगा लालटेन
अब खिलेगा कमल या बसेगा घर
बिहार होगा उज्ज्वल जब गरीब समझेगा अपना हक़
सरकार कोई भी आये जाए
गरीबी जाती नहीं
पार्टी कोई भी जीते गरीब हमेशा हारा है
बिहार उज्ज्वल हो तब
जब गरीब चमकेगा
यह चुनाव ही मौका है लगा आग भगा अँधेरा
किसान भूखा है, खली है खज़ाना भी
बेरोज़गार खड़ा है आज हर मोड़ पर
कल क्या हो ये किसने जाना ह
आज मतदान है कहीं तो सूरज दिखता है
भगाओ अँधेरा आने दो ज्ञान की रौशनी को
बिहार वालों चुनो ऐसा नेता जो ख़ुद जले तुम्हारा भविष्य सँवारने को
यह चुनाव पर्व है इसे व्यर्थ न जाने दो